बुधवार, 29 जुलाई 2015

दो तितलियाँ (कहानी)


गर्मी की छुट्टियाँ शुरु हो गयी थीं हर साल की तरह इस बार भी मिथली को अपने दादा - दादी के पास गाँव जाना था. उसकी माँ पैकिंग मे लगी थी मिथली ने भी अपनी गुड़िया, खिलौने, टॉफ़ी, चॉकलेट और लूडो पैक करवा लिया था. कल सुबह की ट्रेन से उसे दिल्ली से अपने गाँव जाना था. रात को खाने के बाद माँ ने उसे जल्दी सोने को कहा वह बिस्तर पर लेट तो गयी लेकिन गाँव जाने की खुशी मे उसे नींद नहीं आयी वह बार बार माँ को आवाज़ लगा कर अपना सामान गिनवाती और पूछती कुछ छूटा तो नहीं. बिस्तर पे लेटे लेटे उसे याद आया कि उसे अपनी बेस्ट फ्रेंड तितली के लिये ग्रीटिंग कार्ड बनाना था. वह झट के उठ के आर्ट की कापी का एक पेज, पेंसिल ,रबर, स्केल और कलर ले आयी उसने पेज को कार्ड की तरह फोल्ड किया और उसपे बहुत सारे फूल, तितलियाँ और आसमान मे उड़ती चिड़ियाँ बना डालीं बीचोंबीच मे उसने एक लड़की बनाई और अपने चमकीले रंगों से सब को जीवंत कर दिया . कार्ड के एक कोने पर उसने रंगीन पेंसिल से लिखा To my best freind titli और नीचे दूसरे कोने पे उसने लिखा from your best freind mithli. Engish के Exam की तरह मिथली ने कार्ड पर भी friend की स्पेलिंग गलत ही लिखी थी.

आज सुबह वह माँ की एक आवाज़ मे ही उठ गयी जल्दी जल्दी नाश्ता कर के फूलो वाली पीली फ्राक पहन के गुड़िया वाला बैग कंधों पे लटका के तैयार हो गयी. माँ पापा के साथ वह स्टेशन पहुँची ट्रेन मे सब अपनी सीट पर बैठ गये मिथली हर जाती हूई ट्रेन और लोगों को हाथ हिला कर विदा करती जैसे सब उसके अपने हों. कुछ ही देर मे उसकी गाड़ी भी चल दी सूरज ढलने से पहले वह अपने गाँव पहुँच गयी घर पहुँचते ही दादा ने उसे गोद मे उठा लिया वह चिड़िया की तरह चहकती हूई सफर का सारा किस्सा सबको सुना रही थी कुछ ही पलों मे पूरे घर मे वह अपने पावँ के निशान बना आई थी. वह अपने बैग से कुछ निकाल रही थी कि तभी बाहर से आवाज़ आयी मीथली मीथली ... अपनी बेस्ट फ्रेंड तितली की आवाज़ सुनकर वह बाहर दौड़ी चली आई लेकिन मीथली को देखते ही उसका खिला हुआ गुलाबी चेहरा पीला पड़ गया. तितली व्हील चेयर पर बैठी हाथ मे आम की टोकरी लिये मुस्कुरा रही थी उसने आम की टोकरी मीथली की तरफ बढ़ाते हुए कहा, बाबा से कह के ताज़े मंगवाये हैं. तितली की बात काटते हुए मीथली बोल पड़ी , तितली यह क्या हुआ ? तुम व्हील चीयर पे क्यों ? तितली कुछ बोलती कि दादा जी बोल पड़े , कुछु महिने पहले एक सड़क हादसे मे तितली को चोट लग गयी थी इसलिए वह अब चल नही पाती.

मीथली को यह जानकर बहुत दुख हुआ अब तितली उसके साथ दौड़ नहीं सकती थी खेल नहीं सकती थी शाम को दोनो ने खूब बातें की मीथली ने अपनी दोस्त को ग्रीटिंग कार्ड दिया चाकलेट दी अपने खिलौने और कहानी की किताब दिखाई . रात को तितली मीथली से घर आने का वादा ले के अपने घर चली गई. अब रोज़ दोनों मिलती कहानियाँ पढ़ती ,गुड़िया खेलतीं अपने अपने स्कूल की बातें बतातीं , लेकिन मीथली बाग मे खेलना चाहती थी वह फूल चुनना चाहती थी उसका मन करता था आम तोड़ने का, तितलियाँ पकड़ने का ऊँच नीच खेलने का पूरे गाँव मे दौड़ लगाने का. धीरे धीरे वह दूसरे बच्चों के साथ खेलने लगी, तितली उसे खेलते देखती रहती. धीरे धीरे मीथली अपनी दोस्त तितली से दूर जाने लगी ,वह अब तितली को बिना लिए ही दूसरे बच्चों के साथ खेलने चली जाती लेकिन फिर भी तितली उसके पीछे पीछे उस जगह पहुंच जाती.

एक दिन फूल तोड़ने और रंग बिरंगी चमकीली तितलियाँ पकड़ने के लिए बच्चों के कहने पर वह कल्लन सेठ के बगीचे में दीवार फांद कर कूद गई उसकी दोस्त तितली ने उसे मना भी किया लेकिन उसने नहीं सुना . थोड़ी ही देर मे बगीचे से कुत्तों के भौकने और बच्चों के चीखने चिल्लाने की आवाज़े आने लगीं , सब बच्चे दीवार फांद फांद कर भाग गये लेकिन मीथली सबसे छोटी होने की वजह से बड़ी मुशकिल से कुत्तों से बच के दीवार पर चढ़ पायी , बगीचे के इस पार दीवार ज्यादा ऊँची थी उसके पाँव मे काँटा भी चुभा हुआ था वह इतना ऊँचा अब कूद नहीं सकती थी . अपनी दोस्त तितली को देखकर वह फफक फफक कर रोने लगी , तितली ने अपनी व्हील चेयर दीवार से सटा दी और उस पर पैर रखकर उतरने को कहा . मीथली उस व्हील चेयर की मदद से नीचे उत्तरी तितली ने उसके पाँव का काटा निकाला , मीथली को अपनी गलती का एहसास हो गया था वह समझ गयी थी कि तितली ही उसकी सच्ची दोस्त है और उसने तितली से उसकी बात न मानने के लिये माफी मांगी और हमेशा बेस्ट फ्रेंड बने रहने का वादा किया. कुछ माह के इलाज के बाद तितली ठीक़ हो गयी और फिर से दोनों एक घर से दूसरे घर कूदने लगीं , दादा ने दोनों को दौड़ा कर पकड़ा और बोले मैने तो आज दो तितलियाँ पकड़ लीं ,यह सुनकर दोनों खिल खिला के हँस पड़ी.

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ज़ैतून ज़िया, लखनऊ
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06 जुलाई 1989 को हरदोई में जन्मी ज़ैतून ज़िया ने महिला विद्यालय इंटर कॉलेज से 10वीं की परीक्षा पास करने के बाद लाल बाग महिला इंटर कॉलेज लखनऊ से 12वीं की परीक्षा पास किया. उसके बाद कानपूर विश्वविद्यालय से ज़ूलॉजी, बॉटनी और केमिस्ट्री के साथ इन्होने स्नातक किया और इंटीग्रल यूनिवर्सिटी से बी.एड करने के बाद कानपूर विश्वविद्यालय से ही इन्होंने एजुकेशन में स्नाकोत्तर पास किया. सेंट. थेरेसा हाई स्कूल में इन्होंने 6वीं से 10वीं तक जैविक विज्ञान शिक्षका के रूप में कार्य किया और फिलहाल ए जामिया मिलिया इस्लामिया से एम.फिल. कर रही हैं.